एक समय की बात है कबीर दास जी गंगा स्नान करके हरी भजन करते हुए जा रहे थे, वो एक गली में प्रवेश कर निकल रहे थे, गली बहुत बड़ी थी,
उनके आगे से रस्ते में कुछ माताएं जा रही थी, उनमे से एक की शादी कही तय हुई होगी तो, उनके ससुराल वालो ने लड़की के लिए एक नथनी भेजी थी नथनी बड़ी ही सूंदर थी तो वो लड़की जिसके लिए नथनी आई थी वो अपनी सहेलियों को बार बार नथनी के बारे में बता रही थी की नथनी ऐसी है वैसी है ये ख़ास उन्होंने मेरे लिए भेजी है ये नथनी वो नथनी बार बार नथनी की बात बस।
कबीर जी भी उनके पीछे पीछे चल रहे थे और उनकी बात उनके कान में पड़ रही थी तभी कबीर जी उनके पास से निकले और कहा की
🌹नथनी दिनी यार ने, तो चिंतन बारम्बार,
और नाक दिनी करतार ने, तो प्यारे उनको दिया बिसार।🌹
सोचो की यदि नाक ही ना होती तो नथनी कहा पहनती यही हमारे जीवन में भी हम करते है वस्तु का तो हमें ज्ञान रहता है परंतु ठाकुर जी ने जो दुर्लभ मनुष्य देह भजन के लिए दी है उनका कोई भी आभार नही मानते।
राम।
में परमात्मा का हूँ परमात्मा मेरे हैl
jai shree ram
ReplyDeleteकबीर, एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा
ReplyDeleteएक राम का सकल पसारा,एक राम त्रिभुवन से न्यारा
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तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे।
चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे कबीर सो हम को पावे।।
Sant rampal ji Maharaj ji ki jai. Gyan ganga pustak ke liye Contact krein
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