मनुष्य का जन्म धरती पर इसलिए होता है कि वह अपने
आत्मस्वरूप को पहचान ले और अपने आत्मिक आनंद का अनुभव कर ले। इसी आनंद की अनुभूति के लिए वह बाहर भागता फिरता है। और उसे प्राप्त करने के लिए जिन-जिन सहारों को वह हीरा समझकर पकड़ता है, हाथ में आते ही वे पत्थर सिद्ध हो जाते हैं।
संयोगवशात् ही उसको कोई ऐसा स्थान मिलता है जो उसके व्यथित, थके हुए हृदय को शांति और शीतलता का अनुभव करा पाये और वह स्थान है 'महापुरुषों का सत्संग'।
सत्संग तार देता है, कुसंग डुबो देता है। इसलिए आप भी यदि सत्संग में जाओगे, अच्छा संग करोगे और सदग्रन्थों का अध्ययन करोगे तो आपका चरित्र उज्जवल होगा और जीवन ऊँचा बनेगा।
श्री हनुमान प्रसाद पोद्दारजी ने कहा हैः 'जिसको अपने
जीवन में एक बार भी सच्चे संत के दर्शन, उपदेश और करस्पर्श का सौभाग्य प्राप्त हो जाता है, वह परम आनन्द और परम शान्ति का सहज ही अधिकारी हो जाता है।'
।। श्री राम जय राम जय जय राम।।
Comments
Post a Comment