Skip to main content

मनुष्य का जन्म धरती पर क्यों होता है।

मनुष्य का जन्म धरती पर इसलिए होता है कि वह अपने
आत्मस्वरूप को पहचान ले और अपने आत्मिक आनंद का अनुभव कर ले। इसी आनंद की अनुभूति के लिए वह बाहर भागता फिरता है। और उसे प्राप्त करने के लिए जिन-जिन सहारों को वह हीरा समझकर पकड़ता है, हाथ में आते ही वे पत्थर सिद्ध हो जाते हैं।

संयोगवशात् ही उसको कोई ऐसा स्थान मिलता है जो उसके व्यथित, थके हुए हृदय को शांति और शीतलता का अनुभव करा पाये और वह स्थान है 'महापुरुषों का सत्संग'।

सत्संग तार देता है, कुसंग डुबो देता है। इसलिए आप भी यदि सत्संग में जाओगे, अच्छा संग करोगे और सदग्रन्थों का अध्ययन करोगे तो आपका चरित्र उज्जवल होगा और जीवन ऊँचा बनेगा।

श्री हनुमान प्रसाद पोद्दारजी ने कहा हैः 'जिसको अपने
जीवन में एक बार भी सच्चे संत के दर्शन, उपदेश और करस्पर्श का सौभाग्य प्राप्त हो जाता है, वह परम आनन्द और परम शान्ति का सहज ही अधिकारी हो जाता है।'

             ।। श्री राम जय राम जय जय राम।।

Comments

Popular posts from this blog

श्री भक्तमाल कथा।

✨श्री भक्तमाल कथा✨ 🔸श्री गोवर्धन नाथ श्रीनाथजी के एक भक्त हुए जिनका नाम श्री त्रिपुरदासजी था। इन्होंने ऐसी प्रतिज्ञा की थी कि मैं प्रतिवर्ष शीतकाल में ठाकुर श्री गिरि...

कबीर दास।

एक समय की बात है कबीर दास जी गंगा स्नान करके हरी भजन करते हुए जा रहे थे, वो एक गली में प्रवेश कर निकल रहे थे, गली बहुत बड़ी थी, उनके आगे से रस्ते में कुछ माताएं जा रही थी, उनमे से एक क...

तुलसी बाबा कहते हैं।

कुछ व्यक्ति सोचते हैं की अपना जीवन ऐसा हो जिसमे कोई दुःख ना हो। और सारा अनमोल जीवन नश्वर सुख को पाने में खो देता है। लेकिन मेरे तुलसी बाबा कहते हैं:-    "निर्धन कहे धनवान सुखी,  ...