Skip to main content

सत्संग तारता है कुसंग डूबता है।

> सत्संग तारता है कुसंग डुबोता है:-

एक आवश्यक बात ध्यान में रखो। सत्संग तारता है और कुसंग डूबोता है। अच्छे संग से अच्छे संकल्प तथा कर्म होते हैं।

मंथरा दासी के संग से कैकेयी माता के मन के संकल्प बिगड़े। यह कुसंग का फल है। सत्संग से ही सत्य को समझा जा सकेगा।

संतो तथा सत्शास्त्रों के वचनों को ग्रहण करना चाहिए।
यदि सुख चाहते हो, दुःखों की चोटों से बचना चाहते हो,
जीवन्मुक्ति चाहते हो तो सत्संग करो।

लोग कहते हैं कि 'जब बूढ़े होंगे तब सत्संग करेंगे' परंतु जब बूढ़े हो जाओगे तब तुम्हारी क्या दशा हो जायेगी, यह भी तो सोचो। अंग ढीले पड़ जायेंगे, बुद्धि मंद हो जायेगी,
शरीर साथ नहीं देगा तब भला सत्संग क्या करोगे ?

तब तो दुःखों का पहाड़ ढोना पड़ेगा।

किसी संत से पूछा गया कि 'दुःखों का घर बताइये।' उत्तर
मिलाः 'बुढ़ापा।' बताओ ऐसे बुढ़ापे में कैसे सत्संग करोगे ?

परमात्म ज्ञान तो बचपन से ही मिलना चाहिए।

दुष्टों का संग करने से मन मलिन होता है। नीच मनुष्यों के संग से तो मरना श्रेष्ठ है।

गुरू नानकदेव से उनकी माता ने पूछाः 'बेटा ! रात दिन मुख से क्या जपता रहता है। ?"

नानकजी ने उत्तर दियाः "आखां जीवां विसरे मर जाय।''

अर्थात् दिन रात जब सच्चा नामस्मरण करता हूँ तभी जीवित हूँ, नहीं तो मर जाता।

यह न भूलना चाहिए कि विचार ही जीवन का निर्माता है।
जिस प्रकार बीमारी का चिंतन करने से हम स्वस्थ जीवन नहीं बिता सकेंगे, उसी प्रकार मलिन विचार करने से हम आनंदमय जीवन नहीं जी सकते।

मनुष्य को सदैव हंसमुख रहना चाहिए कि 'आनंद हमारे पास उपस्थित है।' जो आदमी मूली खाता है, उसे मूली की ही डकार आती है।

हमारे भीतर भी जैसे विचार होंगे, वैसे ही वचन और कर्म भी होंगे।

                   ।। जय श्री राम ।।

Comments

Popular posts from this blog

श्री भक्तमाल कथा।

✨श्री भक्तमाल कथा✨ 🔸श्री गोवर्धन नाथ श्रीनाथजी के एक भक्त हुए जिनका नाम श्री त्रिपुरदासजी था। इन्होंने ऐसी प्रतिज्ञा की थी कि मैं प्रतिवर्ष शीतकाल में ठाकुर श्री गिरि...

कबीर दास।

एक समय की बात है कबीर दास जी गंगा स्नान करके हरी भजन करते हुए जा रहे थे, वो एक गली में प्रवेश कर निकल रहे थे, गली बहुत बड़ी थी, उनके आगे से रस्ते में कुछ माताएं जा रही थी, उनमे से एक क...

तुलसी बाबा कहते हैं।

कुछ व्यक्ति सोचते हैं की अपना जीवन ऐसा हो जिसमे कोई दुःख ना हो। और सारा अनमोल जीवन नश्वर सुख को पाने में खो देता है। लेकिन मेरे तुलसी बाबा कहते हैं:-    "निर्धन कहे धनवान सुखी,  ...