💐|| असली भजन ||💐
* भगवान हमारे हैं , हम भगवान के हैं - इस प्रकार भगवान से सम्वन्ध होने पर भगवान को याद करना नहीं पडेगा , प्रत्युत उनकी याद स्वत: आयेगी | संसार में तो धन सम्पत्ति ज्यादा होने से इज्जत होती है , पर भगवान के यहाँ इज्जत होती है भगवान के सम्वन्ध से ! एक भगवान के साथ सम्वन्ध जोडने से आपका सब घाटा , सब चिन्ता , सब शोक , सब हलचल मिट जायेगी ! आप पूर्ण हो जायोगे |
* साधन ( क्रिया ) निरन्तर नहीं होता पर सम्वन्ध निरन्तर होता है | साधक कोई सा भी साधन करे , पर अपना सम्वन्ध परमात्मा के साथ ही रखे | जब तक अन्य के साथ सम्वन्ध रहेगा , तब तक भजन नहीं होगा |
जिसको आप भगवत्प्राप्ति का साधन मानते हैं , वह वास्तव में भगवत्प्राप्ति का साधन नहीं होता |
असली साधन तब होता है जब आपका सम्वन्ध भगवान के साथ होता है | जैसे स्त्री पीहर में आती है तो वह पीहर का सब काम भलीभाँति करते हुये भी मन से ससुराल की बनी रहती है , ऐसे ही यदि आप भगवत्प्राप्ति चाँहते है तो संसार में रहते हुये भी भीतर से सम्वन्ध भगवान के साथ रखो | सन्त , गुरू से भी सम्वन्ध मत जोडो उनकी बात मानो |
* भक्तिमति मीरावाई ने केवल प्रभु को अपना माना
* मेरे तो गिरधर गोपाल , दूसरो न कोई |
* संत तुलसीदास जी ने कहा
विगडी जन्म अनेक की सुधरे अब और आज |
होई राम को नाम जप तुलसी तज कुसमाज ||
अर्थात अनेक जन्मों की बिगडी हुई बात आज तो बहुत दूर है अभी अभी सुधर जाये केवल आवश्यकता है जगत से सम्वन्ध हटाकर सच्चे हृदय से परमात्मा का हो जाने की |
( श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज के प्रवचन से )
में परमात्मा का हूँ परमात्मा मेरे हैl
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