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धन।

धन कमाना आजकल होशियारी कहलाती है । लोग कहते हैं कि बड़ा होशियार है, कितना धन कमा लिया इसने । अरे ! धन क्या कमा लिया ? उम्र गँवा दी । आप मरेंगे तो कौड़ी एक साथ चलेगी नहीं । धन कमानेके कारण जो झूठ-ठगी, बेईमानी, धोखेबाजी, विश्वासघात आदि अपनाना पडा, वह जमा हुआ है अन्तःकरणमें और धन रह जायगा बैंकोंमें, आलमारियोंमें, बक्सोंमें । यह साथ जायगा नहीं । धन संग्रह करनेमें जो-जो पाप किये वे साथ चलेंगे । तो यह पापकी पोट सिरपर रहेगी, साथ चलेगी । काले बजारसे धन कमा लिया । आयकरकी चोरी कर ली, बिक्रीकरकी चोरी कर ली, बड़ी होशियारी की । किया क्या ? महान् नाश कर लिया, महान् पतन कर लिया । साथ चलनेवाली पूँजी नष्ट कर दी और यहीं छूटनेवाली पूँजी संग्रह कर ली । मरनेपर कुछ साथ नहीं चलेगा । सब धन यहीं धरा रह जायगा । पीछे लोग खायेंगे और दुःख पाओगे आप । नरकोंमें जाना पड़ेगा आपको । यह होशियारी है ? यह कोई समझदारी है ? कितनी बड़ी भारी बेसमझी है, मूर्खता है । तो अब क्या करें ? अब पाप छोड़ दो । अब बेईमानी, ठगी, झूठ-कपट, विश्वासघात, धोखेबाजी नहीं करेंगे । परिश्रम करेंगे, जितना मिलेगा, उसीसे काम चलायेंगे । पाप नहीं करेंगे।

परम श्रद्धेय स्वामी रामसुखसदास जी महाराज

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