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हरे कृष्णा ।

*एक बार गोपियों ने श्रीकृष्ण से कहा कि ‘हे कृष्ण हमें अगस्त्य ऋषि को भोग लगाने जाना है, और ये यमुना जी बीच में पड़ती हैं अब बताओ कैसे जाएं?*

*भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जब तुम यमुना जी के पास जाओ तो कहना – हे यमुना जी अगर श्रीकृष्ण ब्रह्मचारी है तो हमें रास्ता दो*

*गोपियाँ हंसने लगी ,कि लो ये कृष्ण भी अपने आप को ब्रह्मचारी समझते है, सारा दिन तो हमारे पीछे पीछे घूमता है, कभी हमारे वस्त्र चुराता है कभी मटकिया फोड़ता है … खैर फिर भी हम बोल देंगी।*

*गोपियाँ यमुना जी के पास जाकर कहती हैं, हे यमुना जी अगर श्रीकृष्ण ब्रह्मचारी है तो हमे रास्ता दें, और गोपियों के कहते ही यमुना जी ने रास्ता दे दिया।*

*गोपियाँ तो सन्न रह गई ये क्या हुआ,*

*कृष्ण ब्रह्मचारी!!!!*

*अब गोपियां अगस्त्य ऋषि को भोजन करवा कर वापस आने लगी तो अगस्त्य ऋषि से कहा कि अब हम घर कैसे जाएं, यमुनाजी बीच में है।*

*अगस्त्य ऋषि ने कहा कि तुम यमुना जी को कहना कि अगर अगस्त्यजी निराहार है तो हमें रास्ता दें।*

*गोपियाँ मन में सोचने लगी कि अभी हम इतना सारा भोजन लाई सो सब गटक गये और अब अपने आप को निराहार बता रहे हैं?*

*गोपियां यमुना जी के पास जाकर बोली, हे यमुना जी अगर अगस्त्य ऋषि निराहार हैं, तो हमे रास्ता दें, और यमुना जी ने रास्ता दे दिया।*

*गोपियां आश्चर्य करने लगी कि जो खाता है वो निराहार कैसे हो सकता है?*

*और जो दिन रात हमारे पीछे पीछे फिरता है वो कृष्ण ब्रह्मचारी कैसे हो सकता है?*

*इसी उधेड़बुन में गोपियों ने कृष्ण के पास आकर फिर से वही प्रश्न किया।*

*भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे गोपियों मुझे तुमारी देह से कोई लेना देना नहीं है, मैं तो तुम्हारे प्रेम के भाव को देख कर तुम्हारे पीछे आता हूँ,मैंने कभी वासना के तहत संसार नहीं भोगा, मैं तो निर्मोही हूँ, इसलिए यमुना ने आप को मार्ग दिया।*

*तब गोपियां बोली भगवन् मुनिराज ने तो हमारे सामने भोजन ग्रहण किया।*

*फिर भी वो बोले कि अगत्स्य आजन्म उपवासी हो तो हे यमुना मैया मार्ग दें!*

*और बड़े आश्चर्य की बात है कि यमुना ने मार्ग दे दिया!*

*श्रीकृष्ण हंसने लगे और बोले कि अगत्स्य आजन्म उपवासी हैं।*

*अगत्स्य मुनि भोजन  ग्रहण करने से पहले मुझे भोग लगाते हैं।*

*और उनका भोजन में कोई मोह नहीं होता, उनको कतई मन में नहीं होता, कि में भोजन करूं या भोजन कर रहा हूँ।*

*वो तो अपने अंदर रह रहे, मुझे भोजन करा रहे होते हैं, इसलिए वो आजन्म उपवासी हैं।*

*जो मुझसे प्रेम करता है, मैं उनका सच में ऋणी हूँ, मैं तुम सबका ऋणी हूँ...*

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