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सुखी कसे रहे।


हरे कृष्ण

भक्ति में दुर्वासना विघ्न लाती है। लोग मुझे मान दे ,लोग मेरी बात माने ,मैं सुख भोग लू -ये सब दुर्वासनाये है।

आप सबको मान देने की इच्छा रखिये। मान पाने की इच्छा नही रखिये। सुख भोगने की इच्छा नही रखे। जिसको सुख भोगने की इच्छा होती है उसका मन अशांत रहता है। जो दूसरे को सुख देने की इच्छा रखता है उसकी भक्ति बढ़ती है।

भक्ति में दुर्वासना विघ्न लाती है। दुर्वासना से क्रोध उत्प्नन होता है। क्रोध के कारण मानव कर्कश वाणी का प्रयोग करता है। कर्कश वाणी ही कृत्या है। कर्कश वाणी सहने वाला सुखी रहता है और कर्कश बोलने वाला दुखी रहता है। जैसे दुर्वासा ऋषि कर्कश बोले राजा अम्बरीष से तो दुखी भी दुर्वासा ही हुए।

भक्ति का आनन्द लेने के लिए दुर्वासनाओ को छोड़ना पड़ेगा।
श्री राधिका समर्पणम्
श्री मद भागवत रसामृत
 

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