।।मोर पंख की कथा।।
गोकुल में एक मोर रहता था।
श्रीकृष्ण के द्वार पर बैठा भजन गाता रहता था...
कोई ना सहारा बिन तेरे...
गोपाल सांवरिया मेरे...
रोज़ यही गुनगुनाता रहता।
साल बीत गया।
परन्तु श्रीकृष्ण ने ना सुनी।
एक दिन वहां से एक मैना उडती जा रही थी।
उसने मोर को परेशान देखा।
उसे ये देख कर हैरानी हुई कि...
श्रीकृष्ण के दर पर कोई रो रहा है।
मैना ने मोर से उसकी परेशानी का कारण पूछा।
मोर बोला पिछले एक साल से मैं इस छलिये
को रिझा रहा हूं। परन्तु इसने आज तक मेरी सुध ना ली।
मैना सारी बात समझ गई।
उसने मोर से अपने साथ चलने का आग्रह किया।
और वो दोनों उड़ चले बरसाने की ओर।
मैना वहां पहुंची तो उसने गाना शुरू किया...
श्री राधे राधे राधे...बरसाने वाली राधे।
उसने मोर से भी यही गाने को कहा।
परन्तु मोर तो बरसाने में आकर
भी यही गा रहा था कोई ना सहारा बिन तेरे...
गोपाल सांवरिया मेरे...
राधा ने ये सुना तो वो दौड़ी चली आई...
और मोर को गले लगा लिया।
पूछा, तू कहां से आया हैं?
मोर बोला: जय हो राधा रानी की।
आज तक सुना था कि आप करुणामयी हो।
आज साबित हो गया।
राधा: वो कैसे?
मोर: मैं पिछले 1 साल से श्रीकृष्ण धाम पर भजन कर
रहा हूं पर कान्हा हैं कि सुनते तक नही। आपने उसी भजन
को सुनकर मुझे ह्रदय से लगा लिया।
करूणामयी राधाजी समझ गईं...बोलीं...
ठीक है अब तुम गोकुल जाओ और यही रटो...
जय राधे राधे राधे...बरसाने वाली राधे।
गोकुल आकर मोर ने तान छेडी...
जय राधे राधे राधे...बरसाने वाली राधेऽऽऽ...
कृष्ण ने ये सुना तो भागते हुए आये और बोले...
मेरी राधा का संदेशा लाए हो? कैसी है मेरी राधे?
कुछ तो बताओ मेरी राधा के बारे में... कहते हुए भाव-
विह्वल से श्रीकृष्ण रो पडे।
मोर: वाह प्रभू...
एक साल आपके नाम का भजन किया तब एक ना सुनी।
आज मुझे गले लगा लिया...जय राधे राधे।
श्रीकृष्ण: तूने राधा का नाम लिया ये तेरे लिए वरदान
हैं...और मैंने तेरी सुधि नही ली ये मेरे लिए श्राप है।
इसलिए जब तक ये स्रष्टि रहेगी...
तेरा पंख सदैव मेरे शीश पर विराजमान होगा।
और जो राधा का नाम लेगा वो मेरी कृपा से पूर्ण
होगा।
जय श्री राधे मोर मुकुट बंसी वाले की...
RadhaRani ki jay..
में परमात्मा का हूँ परमात्मा मेरे हैl
Comments
Post a Comment